सर्वोपरी ब्रह्माण्ड के सार्वभौमिक सत्य को साक्ष्यांकित करते हुए विश्व में निहित एवं क्रियाशील विभिन्न मानव समुदाय के धर्मों को अक्षुण्ण रखते हुए विश्व एवं मानव कल्याणार्थ बहुआयामी सेवाएं अपने “पवित्र” सामुदायिक विकास सिद्धांत पर आधारित योजनाओं के द्वारा प्रदान करते हुए स्वस्थ एवं स्वच्छ भावी पौरुषीय समाज की ओर अग्रसर रहना ही हमारा लक्ष्य होगा।
पवित्र:- पृथ्वी की सृष्टि के अन्तर्गत प्रकृति द्वारा मानव समुदाय को प्राप्त स्वंत्रता एवं स्वच्छन्दता को पूर्ण आदर करते हुए मनुष्यों द्वारा मानव समुदाय को स्वीकृत एवं आपेक्षिक क्रियाकलापों का हनन ही “अपवित्रता” कहलाएगी।